Wednesday, 13 January 2021

समाज का नजरिया

Social Outlook 

समाज का नजरिया । Samaj Ka Najariya । Social Outlook
समाज का नजरिया । Samaj Ka Najariya । Social Outlook


क्यों बदलता है समाज का नजरिया ?


हम जब भी किसी भी समाज में प्रवेश करते है तो हमारे व्यवहार का प्रभाव समाज पर पड़ता है और हमारा व्यवहार ही उस समाज या परिवेश हेतु हमारे भविष्य की छबि का निर्माता होता है। चूंकि हम उस समाज में  नए होते है इसलिए समाज को हमारा व्यवहार ज्यादा आकर्षित करता और समाज हमारी व्यवहारिकता को बड़ी ही बारीकी से समझने लगता है और उससे सीखने लगता है। समय के साथ साथ समाज हमसे सीखता जाता है और हम समाज के लिए सीख छोड़ते जाते रहते  है। समाज हमसे तब तक सीखता है जब तक वह हमारी बोद्धिकता गहराई तक नहीं पहुंच जाता। एक समय ऐसा आता है जब हम समाज को सीख देना बंद कर देते हैं या फिर सीख देने हेतु असहज हो जाते हैं और समाज पर हमारे व्यक्तित्व का असर भद्दा हो जाता है। 

यह स्थिति इसलिए आती है क्योंकि हमारा समाज हमसे सीखना बंद करके अंदर ही अंदर पहले से सीखी बातों का गहन मंथन करने लगता है। गहन चिंतन व मंथन के बाद हमारा समाज निष्कर्ष की स्थिति में आ जाता है और फिर परावर्तन हेतु पक्षवाद का जन्म होता है और समाज की हमारे प्रति तुलनात्मक दृष्टि शुरू हो जाती है। अब हमारे परिवेश में दो पक्ष जन्म लेते हैं :- पहला सकारात्मक पक्ष और दूसरा नकारात्मक पक्ष। इन दोनो में से वह पक्ष परिवेश पर ज्यादा हावी हो जाता है जो स्वयं समाज में विद्यमान होता है। यदि समाज के स्वयं का पक्ष सकारात्मक है तो वह हमारे अंदर की सकारात्मक बातों का मंथन ज्यादा करता है जबकि यदि हमारे समाज का पक्ष नकारात्मक  है तो वो हमारी नकारात्मक बातों का ज्यादा मंथन करता है। उपरोक्त पक्षों के मंथन के बाद समाज  का हमारे प्रति व्यवहार परिवर्तित होने लगता है।


अब यहां प्रश्न उठता है कि ऐसी स्थिति में हमें क्या करना चाहिए?  एक बात हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि हमारे परिवेश को हमसे कुछ नया सीखने कि उम्मीद हमेशा रहती है। जब तक हमारे परिवेश को हमसे नई नई बातें अथवा कोई कार्य सीखने को मिलती रहेंगी तब तक परिवेश का हमारे प्रति व्यवहार परिवर्तित नहीं होगा क्योंकि हमारे द्वारा नई नई बातों का संचार समाज को मिलता रहेगा और वो उन पर सोच विचार करने मैं व्यस्त रहेगा । जैसे ही हमारे ज्ञान का प्रसारण बंद हो जाता है वैसे ही हमारा समाज हमारी बातों का मंथन करके व्यवहार परिवर्तित करने लगता है । 

कैसे बनाकर रखें अपने अस्तितव को ?

अतः हमें अपने सकारात्मक अस्तिव को बनाए रखने के लिए चाहिए कि लगातार कुछ न कुछ समाज को देते रहना चाहिए जिससे समाज हमेशा हमसे सीखता रहे और वह मंथन कि स्थिति में न जाएगा। अब यहां पर यह इतना आसान नहीं है कि हम अपने समाज को हमेशा नया ज्ञान देते रहें । इसके लिए हमें खुद के पर बहुत काम करना पड़ेगा। अगर हमारा समाज हमसे दो बातें सुनकर या सीखकर चलेगा तो हमें खुद चार बातें सीखकर समाज से आगे निकलना होगा । तब जाकर हम समाज में अपने अस्तित्व का बनाकर रख पाएंगे। 


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