कोठारी आयोग ने भारतीय शिक्षा के निम्नलिखित उद्देश्य निर्धारित किए हैं
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कोठारी आयोग के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य | Kothari Commission 1964-66 |
१. उत्पादन में वृद्धि करना (To increase in productivity)
- वर्तमान जनतंत्र है भारत का प्रथम उद्देश्य है- उत्पादन में वृद्धि करना। भारत में जनसंख्या की वृद्धि के साथ-साथ उत्पादन नहीं बढ़ रहा है। हमारे देश में खाद्य सामग्री, वस्त्र, दवाईयां तथा कलपुर्जे आदि आवश्यक वस्तुओं की अभी बहुत कमी है। इन सब के लिए हमें दूसरे देशों का मुंह देखना पड़ता है। हमें चाहिए कि हम अपने यहां विभिन्न क्षेत्र में उत्पादन को गति प्रदान करें।
- इस महान उद्देश्य को पूरा करने के लिए हमें कृषि तथा तकनीकी शिक्षा पर बल देने के साथ-साथ माध्यमिक शिक्षा को भी अधिक व्यवसायिक रूप प्रदान करना होगा। इस संबंध में आयोग ने कुछ ऐसे सुझाव भी प्रस्तुत किए हैं जिनको कार्य रूप में परिणित करने से उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।
२. सामाजिक एवं राष्ट्रीय एकता का विकास ( to develop social and national unity)
- राष्ट्र के पुनर्निर्माण के लिए राष्ट्रीय एकता परम आवश्यक है। इस एकता के ना होने से सभी नागरिक राष्ट्रहित की परवाह ना करते हुए केवल अपने अपने निजी हितों को पूरा करने में ही व्यस्त हो जाते हैं जिससे राष्ट्र निर्मल तथा प्रभावहीन हो जाता है।
- परिणाम स्वरूप उसे एक दिन नुकसान में ही जाना पड़ता है। कहने का तात्पर्य यह है कि राष्ट्र के निर्माण हेतु सामाजिक एवं राष्ट्रीय एकता परम आवश्यक है। इस एकता की भावना का विकास केवल शिक्षा के द्वारा ही संभव है। अतः शिक्षा का उद्देश्य सामाजिक एवं राष्ट्रीय एकता का विकास होना चाहिए। आयोग ने एक शैक्षिक कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की है जिसके द्वारा उस उद्देश्य को सफलतापर्वक प्राप्त किया जा सकता है।
३. जनतंत्र को सुदृढ़ बनाना (To Consolidate Democracy)
- जनतंत्र को सफल बनाने के लिए शिक्षा परम आवश्यक है। अतः जनन तंत्र को सुदृढ़ बनाना शिक्षा का तीसरा उद्देश्य है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए शिक्षा की व्यवस्था इस प्रकार से करनी चाहिए कि प्रत्येक व्यक्ति जनतंत्र के आदर्शों और मूल्यों को प्राप्त कर सके।
- आयोग ने शिक्षा के द्वारा जन तंत्र को सुदृढ़ बनाने तरह राष्ट्रीय चेतना उत्पन्न करने के लिए कुछ ठोस सुझाव प्रस्तुत किए हैं जो उक्त दृष्टि से अत्यंत उपयोगी हैं।
४. देश का आधुनिकीकरण करना (To modernize the country )
- शिक्षा का चौथा उद्देश्य है - देश का आधुनिकीकरण करना। प्रगतिशील देशों में वैज्ञानिक तथा तकनीकी ज्ञान में विकास होने के कारण दिन प्रतिदिन नए-नए अनुसंधान हो रहे हैं।
- इन अनुसंधान के परिणाम स्वरुप प्राचीन परंपराओं और मान्यताओं तथा दृष्टिकोण में परिवर्तन हो रहे हैं। इन अनुसंधानों के कारण नए समाज का निर्माण हो रहा है। खेद का विषय है कि भारतीय समाज में अभी तक वही परंपराएं मान्यताएं व दृष्टिकोण प्रचलित हैं जिन्हें प्राचीन युग में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया था।
- भारत और स्वतंत्र है। यदि भारत को अब उन्नति शील राष्ट्रों के साथ साथ चलना है तो हमें भी वैज्ञानिक तथा तकनीकी ज्ञान का विकास करके औद्योगिक क्षेत्र में उन्नति करते हुए अपने सामाजिक एवं सांस्कृतिक परंपराओं मान्यताओं एवं दृष्टिकोण में समय अनुकूल परिवर्तन करके देश का आधुनिकीकरण करना होगा।
क्योंकि यह सभी बातें शिक्षा के भी द्वारा संभव हैं इसलिए हमें शिक्षा की व्यवस्था इस प्रकार से करनी चाहिए कि यह उद्देश्य सरलता पूर्वक प्राप्त हो जाए।
५. सामाजिक नैतिक तथा आध्यात्मिक मूल्यों का विकास करना (To develop social moral and spiritual values)
- शिक्षा का पांचवा उद्देश्य है - सामाजिक नैतिक तथा आध्यात्मिक मूल्यों का विकास करना।
- देश का आधुनिकीकरण करने के लिए कुशल व्यक्तियों का होना परम आवश्यक है। अतः हम को पाठ्यक्रम में विज्ञान तथा तकनीकी विषयों को मुख्य स्थान देना होगा। इन विषयों से चारित्रिक विकास एवं मानवीय गुणों को क्षति पहुंचने की संभावना है।
- अतः आयोग ने सुझाव प्रस्तुत किया है कि पाठ्यक्रम में वैज्ञानिक विषयों के साथ-साथ माननीय विषयों को भी सम्मिलित किया जाए जिससे औद्योगिक उन्नति के साथ-साथ मानवीय मूल्य में विकसित होते रहें और प्रत्येक नागरिक सामाजिक नैतिक तथा आध्यात्मिक मूल्यों को प्राप्त कर सके।
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