1902 से 1928 तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक सर जॉन मार्शल थे। इनके द्वारा ही हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई की गई। वर्ष 1920 में सर जॉन मार्शल ने हड़प्पा मेंं और सन 1922 मेंं मोहनजोदड़़ो में खुुदाई की।
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सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषताएं (characteristics of Indus valley civilization) |
- वर्ष 1924 में सर जॉन मार्शल द्वारा सिंधु घाटी में नई सभ्यता की खोज की घोषणा की गई।
- अलेक्जेंड कनिंघम को भारत के पुरातत्व विभाग का पिता का माना जाता है।
- मोहनजोदड़ो का शाब्दिक अर्थ, मृतकों का टीला होता है।
- मोहनजोदड़ो से प्राप्त महान स्नानागार सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे महत्वपूर्ण इमारत है।
- सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है।
- सिंधु घाटी की सभ्यता की समय अवधि 2300 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व तक मानी जाती है।
- लोथल प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के शहरो में से एक प्रमुख शहर है।
सिंधु घाटी सभ्यता के लोग समतावादी लोग थे। यहां के मकान पक्की ईंटों से बने थे। इस सभ्यता के लोगों को लोहे का ज्ञान नहीं था। सिंधु घाटी सभ्यता के लोग मातृ प्रधान थे तथा मातृ देवी की पूजा भी की जाती थी। योनि पूजा, पशुपति पूजा इत्यादि के प्रमाण भी सिंधु घाटी सभ्यता में मिलते हैं।
हड़प्पा कालीन प्रमुख स्थल
हड़प्पा - दयाराम साहनी 1921 पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में
मोहनजोदड़ो - राखल दास बनर्जी 1922 पाकिस्तान के सिंध प्रांत में
बालाकोट - जॉर्ज बेल्स 1962 बलूचिस्तान
लोथल - एस.एम तलवार 1953-56 अहमदाबाद (गुजरात)
कालीबंगा - वीवी लाल। वी.के थापर 1961 गंगानगर (राजस्थान)
चंन्हूदड़ों - गोपाल मजूमदार और अर्नेस्ट मैकेेे 1931 सिंध (पाकिस्तान)
हड़प्पा कालीन प्रमुख स्थल और नदी तट
हड़प्पा - रावी नदी
मोहनजोदड़ो - सिंधु नदी
लोथल - भोगवा नदी
कालीबंगा - घग्गर नदी
चंन्हूदड़ों - सिंधु नदी
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