भारत का इतिहास अत्यंत प्राचीन एवं गौरवपूर्ण रहा है। भारतीय इतिहास की जानकारी के स्रोत अत्यंत विस्तृत है। इतिहासिक क्रम बद्धता को प्रभावी रूप देने के लिए विद्वानों ने इन स्रोतों को तीन भागों में विभाजित किया है।
१. पुरातात्विक स्रोत
पुरातात्विक स्रोतों के अंतर्गत मुख्यता अभिलेख, स्मारक, भवन, मुद्राएं मोहरें, मूर्तियां, चित्रकला आदि आते हैं।
बोगजकोई अभिलेख एशिया माइनर सन १४०० ई. पू. में आर्यों के ईरान से भारत की ओर आने का प्रमाण मिलता है। इस अभिलेख में वैदिक देवताओं का वर्णन मिलता है।
भारत में प्राप्त सबसे प्राचीन अभिलेख मौर्य सम्राट अशोक के हैं।प्रारंभिक अभिलेख अधिकांशतः प्राकृत भाषा में है किंतु गुप्त तथा गुप्तोत्तर काल के अधिकांश अभिलेख संस्कृत में है।
भारत की प्राचीनतम सिक्के आहत सिक्के या पंचमार्क सिक्के कहलाते थे जो पांचवी शताब्दी ईपू के माने जाते हैं। इन सिक्कों पर पेड़, सांड, मछली, हाथी, अर्धचंद्र आदि आकृतियां बनी होती थी।
आहत सिक्कों को ऐतिहासिक ग्रंथों मे कार्षापण कहा गया है। यह सिक्के अधिकांश चांदी के बने होते थे। भारत में सर्वप्रथम स्वर्ण सिक्के हिंदू यूनानी शासकों में चलाए।
प्राचीन काल में मूर्तियों का निर्माण कुषाण काल से माना जाता है गुप्त काल में मूर्ति निर्माण की गांधार तथा मथुरा शैली प्रचलित थी। गांधार कला पर यूनानी प्रभाव अधिक व्याप्त था।
प्राचीन भारत के प्रमुख अभिलेख
- महास्थान अभिलेख (चंद्रगुप्त मौर्य)
- जूनागढ़ अभिलेख (रुद्रदामन)
- प्रयाग अभिलेख (समुद्रगुप्त)
- उदयगिरी अभिलेख (समुद्रगुप्त द्वितीय)
- भितरी अभिलेख (स्कंद गुप्त)
- एरण अभिलेख (भानु गुप्त)
- मधुबन अभिलेख (हर्षवर्धन)
२. साहित्यिक स्रोत
- कौटिल्य की अर्थशास्त्र, पाणिनी की अष्टाध्यायी, पतंजलि का महाभाष्य, विशाखदत्त की मुद्राराक्षस, शूद्रक की मृछकटिकम, बाणभट्ट की हर्षचरित इत्यादि कुछ महत्वपूर्ण रचना है जो भारतीय इतिहास का विस्तृत वर्णन करती हैं।
- ऐतिहासिक रचनाओं में सर्वाधिक महत्वपूर्ण रचना कल्हण द्वारा लिखी गई राजतरंगिणी है। जिसमें माध्यम से कश्मीर के इतिहास के विषय में संपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है।
३. विदेशियों का वृतांत
- यूनानी लेखक मेगस्थनीज की रचना इंडिका से मौर्य प्रशासन, समाज तथा संस्कृति का विस्तृत ज्ञान प्राप्त होता है।
- टॉलेमी की ज्योग्राफी तथा प्लिनी की नेचुरल हिस्टोरिका में भारतीय समाज एवं अर्थशास्त्र का चित्रण किया गया है।
- पेरीप्लस ऑफ द एरिथ्रियन सी में भारतीय बंदरगाहों तथा वहां से होने वाली वाणिज्यिक गतिविधियों का विवरण मिलता है।
- चीनी यात्रियों फाह्यान, हेनसॉन्ग तथा इत्सिंग ने भी अपनी रचनाओं में तत्कालीन भारतीय सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक स्थिति पर व्यापक प्रकाश डाला है।
- अरब यात्रियों एवं लेखकों के विवरण से पूर्व मध्यकालीन भारत के समाज एवं संस्कृति के विषय में जानकारी मिलती है। इन लेखकों में अलबरूनी अलम सूदी, सुलेमान एवं अलबिलादुरी प्रमुख है।
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